सोमवार, 11 जुलाई 2011

गरज-गरज के बरस रे बादर

गरज-गरज के बरस रे बादर
गरज-गरज के बरस

दंद में उसनागे तन
आस में मुरझागे मन
नान्हे-नान्हे पियासे धान बर
झप-झप पानी परस । 
गरज-गरज....

बारी के सब नार-बिंयार
जम्मो में चढ़गे दिंयार
भाजी पाला के दसा ल
आके थोकिन हरख । 
गरज-गरज....

सूरूज खेलय आँखी-मिचौली
कोयली के नंदागे बोली
कलल-कलल जम्मो परानी
अब तो आके टपक । 
गरज-गरज....

रात में चन्दा देखय नटेर
पउर साल कस का होगे फेर ?
पाँव परथन हे महराज
जल्दी जल्दी धमक । 
गरज-गरज....


रमेश यादव
ग्राम-पेण्ड्रीपोष्ट-कलंगपुर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!